®️🌸श्रीराधेकृष्णयः गोविंदाय नमो नमः🌸®️ कैसे बताऊं कितनी कृपा करती है मेरी किशोरी जू होते है हम तकलीफ में खुद आहें भरती है 🍹किशोरी जू💫 🌸🌼मिटाती है सारे गम हमारे :-🪴🪴 नामुमकिन को मुमकिन करती है मेरी किशोरी जू 🌷🌷🌷🌷🌷उनकी रहमतों का कोई अन्त नहीं बेअन्त इनायत करती है मेरी किशोरी जू श्रीराधे 🙏 💞💞💞💞💞कैसे कह दूं कि वो दूर है मुझसे 🍀मेरे हर कदम में मेरे साथ रहती है हमारी प्यारी किशोरी जू श्रीराधेकृष्ण गोविंद 🙏
जयश्रीराम जयश्रीराम जयश्रीराम जयश्रीराम ॐ श्री हनुमते नमः🪴🪴 ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तनो हनुमत् प्रचोदयात 💞💞
💮श्री राम जय राम जय जय राम 💮 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 [ 🦜* ॐ श्रीरामयः नमः *🦜] 🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴 श्रीराम जय राम कोदण्ड राम 🌻🌻🌻||
💫💫माया महा ठगिनि 💫💫 🌬माया से मोहित हो जानेपर मनुष्य विवश हो जाता है वह उन्ही कर्मोको करता है जिन्हे माया करवाती है तब मनुष्य दुष्कर्म-पर-दुष्कर्म करता जाता है उसका ज्ञानस्वरूप बिल्कुल ढक जाता है और वह असुरभावग्रस्त होकर इतना आदम बन जाता है कि भगवान की शरण ग्रहण करने के बाद भी सोच नहीं सकता फिरभी प्रेमरूप प्रभु हमे गले लगाता है - भगवान वे हमारी अधमता पर कोई ध्यान नही देते हमारे तीनो शरीरो के साथ प्रेम का खेल चालू रखते है १ 💫जाग्रदवस्था २ 💫स्वप्नावस्था ३💫 अन्यासक्त अंतः स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर के साथ जो खेल होता उसका सुख हमे नही ज्ञात हो पाता किन्तु सुषुप्ति -अवस्था मे हमारा मन पुरीतत नामक नाडीमे लीन रहता है अतः इस अवस्था मे भगवान के मिलनेका सुख हमे मिलता है सुषुप्ति मे अज्ञान के कारण हम नही जान पाते कि भगवान से हमारा मिलन हुआ है किन्तु इतना तो अनुभव करते है कि खूब सुख मिला है यही कारण है कि गाढी नीदसे उठनेके बाद हम नयी शक्ति नयी स्फूर्ति और नयी उमंग पाते है इसलिए वेदान्तने सुषुप्ति-अवस्था को आनन्दभोगावसर कहा है ||🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺
हे ! साँवरे 🎃 कितने हसीन चेहरे है 👨🌾 इस दुनिया मै मगर 🥏 हमको 🥏 एक चेहरा 🥏 ही 🥏 नजर आता है 〰️〰️〰️〰️®️ ®️🎟 दुनिया 🥏 को 🥏 हम 🥏 क्या - देखे 🧸🧸 तेरी - यादो 🕶 मे सरा वक्त - गुजर 📿📿 जाता है 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ®️ श्रीकृष्णाय गोविंदाय नमो नमः श्रीराधेराधे ®️ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
🙏❤🙏❤🙏❤🙏 *विधाता की अदालत में* *वक़ालत बड़ी प्यारी है* *ख़ामोश रहिये ..कर्म कीजिये* *आपका मुकदमा ज़ारी है।* *अपने कर्म पर विश्वास रखिए* *राशियों पर नही....!* *राशि तो राम और रावण की भी* *एक ही थी.....!* *लेकिन नियती ने उन्हें फल* *उनके कर्म अनुसार दिया*
🎋श्रीराम जैसा कोई पुत्र नही हुआ || 🎋वसिष्ठ जैसा कोई गुरू नही हुआ|| 🎋दशरथ जैसा कोई पिता नही हुआ || 🎋कौसल्या जैसी कोई माता नही हुई || 🎋श्रीराम जैसा कोई पति नही हुआ || 🎋सीता जैसी कोई पत्नी नही हुई || 🎋भरत जैसा कोई भाई नही हुआ || 🎋हनुमान जैसा कोई भक्त नही हुआ|| 🎋रावण जैसा कोई शत्रु नही हुआ || रामायण मे बताया गया है- मातृप्रेम" पितृप्रेम" पुत्रप्रेम भार्ताप्रेम" पतिप्रेम" पत्नीप्रेम "का सर्वोच्च आदर्श रूप है
गोरी-गोरी नथ बारी वृषमान की दुलारी क्या साँवरे से प्रीत लगाई रे🌸🌸🌸🌸 👨🌾 नन्द के लाला को कारौ-कारौ मुखडौ आपको बदन जैसे चाद को टुकड़ो👰♂️🌸🌸🌸 कारौ- मत जाण सखी जग उज्जीयारो कृष्ण चन्द्र सखी कंत हमारो💌💌💌💌 मै तो दासी सखी जनम-जनम की नित प्रति जोऊ बाट मिलन की💌💌💌