दुबे जी सरकारी ऑफिस से रिटायर हो चुके थे....😀और रिटायर हुए भी अच्छे खासे दिन हो गए थे......😀
दुबे जी को ना फ़िल्म टीवी देखने में रुचि ना अखबार किताबें पढ़ने में रुचि...😀
इसलिए रिटायरमेंट के बाद दुबे जी टाइम पास कैसे करते हैं,ये एक बड़ा पेचीदा सवाल उनके दोस्त के सामने खडा हुआ पड़ा था...
अरे यार, तुझे ना कोई शौक, ना पढ़ने की आदत, ना फ़िल्म टीवी में रुचि,ना ही ध्यान अध्यात्म में रुचि, रिटायरमेंट के बाद आखिर टाइम पास करता कैसे है यार तू...... ❓😀
दुबे जी को अपने दोस्त के खोदखोद कर गहराई में जाकर बेमतलब पूछताछ करने की आदत अच्छे से पता थी। इसके दिमाग का कीड़ा,शंका का समाधान होने तक शांत नही होगा और तब तक ये अपने को चैन से जीने नहीं देगा,यह भी उनको पता था 😀
बताता हूं......🤔
कल की ही बात है (मैंने शंका निवारण करना आरंभ किया....)
मैं और श्रीमतीजी गए थे बाजार में,अशरफीलाल ज्वेलर्स के शोरूम पर। अंदर जा कर केवल पांच ही मिनट में बाहर आ गए.....
बाहर आकर देखते हैं तो 😨❓ दुकान के सामने पार्क की हुई कार के पास ट्रैफिक पुलिस का सिपाही खड़ा हुआ था, हाथ में चालान बनाने के लिए रसीद बुक लिए... 😎🥵
हम दोनों थोड़ा घबरा गए,उसके पास जाकर विनती करने लगे:-
भैया,मुश्किल से पांच मिनट के लिए ही शोरूम में गए थे, छोड़ दो ना भाई,इस बार.... 🙏
तो वह कहने लगा:-
सभी लोग हर बार ऐसा ही बोलते हैं। खुद की गलती मानता ही नहीं कोई। एक बार हजार रुपये की रसीद कटेगी,तब ही अगली बार गलती नहीं होगी... 😎
मैं भी सिपाही से गिड़गड़ाया:-
ऐसा नहीं है,हम मानते हैं हमसे गलती हुई है,आगे से ऐसा नहीं होगा,और हजार रुपये भी बहुत ज्यादा होते हैं, हम तो रिटायर्ड कर्मचारी हैं,और कुछ नहीं तो मेरे सफेद बालों 👨🦳का तो लिहाज करो.... 🙏
सिपाही भी अकड़ दिखाते हुए बोला:-
लाखों की गाड़ी 🚘 चला रहे हो 😎बड़े-बड़े शोरूम पर खरीददारी 💵 कर रहे हो😎कानून तोड़ते हो,फिर भी हजार रुपये आपको ज्यादा लग रहे हैं❓😎
चलिए,बुजुर्ग होने के नाते इस बार सिर्फ दो सौ रुपये लेकर छोड़ देता हूं 😎
उन दो सौ रुपयों की रसीद मिलेगी ना❓😀' मैंने मासूमियत से पूछ लिया!
तभी हवलदार मेरे ऊपर भिनक गया.....
ओ भाईसाब ,रसीद चाहिए तो हजार की ही बनेगी,दो सौ की कोई रसीद-वसीद नहीं मिलेगी.... 😡
ऐसे कैसे❓😎 पैसे देने पर रसीद नहीं दोगे क्या❓ नियम कायदे से होना चाहिए कि नहीं सब कुछ सीधे सीधे बोलो ना कि तुमको रिश्वत चाहिए.... 😏
मेरे यह बोलते ही वो और भड़क गया और मेरी बात पकड़ कर ही बैठ गया....
अच्छा,ये बात है, नियम कायदे से चाहते हो सब कुछ😎 फिर तो हो जाए,मैं सोच रहा था,बुजुर्ग लोग हैं,थोड़ा सबर से काम लेते हैं 😎 तो आप उल्टे मुझे ही कायदे और अकल सिखाने चल पड़े हो 😎...
चलिए,अब तो सारे नियम कायदे बताता हूं ...... हवलदार ने अब रौद्ररूप धारण कर लिया 👹
अब वह हाथ धोकर गाड़ी के पीछे पड़ गया.....😎
एक मिरर टूटा हुआ है,पीछे वाली नम्बर प्लेट सही नहीं है, PUC अपडेट नहीं है और......
करते-करते मामला तीन चार हजार तक पहुंच गया..... 😀
ये तो काफी बढ़ता ही जा रहा था,यह देख कर मैंने पत्नी से कहा:-
जरा तुम बोल कर देखो,शायद तुम्हारी बात मान जाए
वह हवलदार से बोली:-
भैय्या ,ऐसे गुस्सा मत करो, इनकी बात का बुरा मत मानो, छोड़ भी दो,इनकी ओर तुम ध्यान मत दो,ये लो दो सौ रुपये पकड़ो....
लेकिन हवलदार तो कुछ भी सुनने को राजी नहीं था 😀
मुझे नहीं चाहिए आपके दो सौ रुपये। अब तो रसीद ही कटेगी 😎
अगले आठ-दस मिनट यही सब चलता रहा। वह उसे समझाने की कोशिश करती रही और वो "दिलजला सिपाही" रसीद फाड़े बिना मानने को तैयार नहीं था 😀
दुबे जी बताते जा रहे थे 😟
अरे बाप रे! दो सौ रुपये बचाने के चक्कर में इतनी बात बढ़ गई❓😀फिर क्या किया आप लोगो ने❓ दोस्त ने सवाल किया 🥸
कुछ नहीं! तभी हमारी बस 🚌आ गई,उसमें सवार हो कर घर लौट आए..... 😀
ऐं...❓😎फिर वो गाड़ी❓वो चालान और रसीद का क्या हुआ❓😎 और वो हवलदार....❓😎
दोस्त को कुछ समझ नहीं आ रहा था.....
वो गाड़ी वाला जाने और हवलदार जाने,हमें क्या❓😀 गाड़ी हमारी थी ही नहीं,हम तो बस से गए थे...😀
..तुम अभी पूछ रहे थे ना❓टाइमपास कैसे करते हो, वही बता रहा था...😀😂🤣
दुबे जी निर्विकार रूप से बोले "हँसते रहिये" और टाइमपास के लिए नया "मुर्गा" खोजने निकल पड़े.........
😀😆😂🤣😜🤪